पांच मुखी रुद्राक्ष:-
पांच मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान शिव के काल अग्नि रुद्र रुप से शासित है I इसके अधिपति गृह ब्रहस्पति देव है I इसलिए ज्योतिष के अनुसार ब्रहस्पति कमजोर होने पर पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। इसे “सर्व कल्याणकारी” के रूप में जाना जाता है। यह व्यक्ति को जीवन के सभी प्रकार के अवांछित बंधनों से मुक्त करने के लिए और समय के साथ पहनने वाले की इच्छांओं पूरा करता है। यह पहनने वाले के आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता क्योंकि यह भगवान शिव की शक्ति से ओत-प्रोत है।
इस रुद्राक्ष पर पांच देवी-देवताओं की कृपा बरसती है और इस वजह से ये रुद्राक्ष बहुत खास माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के बुरे कर्मों का अंत होता है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान श्री शिव, श्री विष्णु , भगवान गणेश , सूर्य देव और माँ भगवती की विशेष कृपा प्राप्त होती है I इसके उपयोग से जीवन के सभी क्षेत्रों में भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और मोक्ष को इंगित करता है, सभी इच्छाओं को पूरा करता है और पहनने वाले को बीमारियों से दूर रखता है।
यह जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने और ज्ञान, धन, शक्ति, प्रसिद्धि प्राप्त करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। इसके धारण करने से मानसिक शान्ति प्राप्त होती है, मन प्रफुल्लता लिए रहता है, एकाग्रता बढती है, शत्रुनाश का नाश होता है, जिसके गले में यह रूद्राक्ष होता है, उसे सांप-बिच्छु आदि ज़हरीले जानवरों का डर नहीं रहता। यह रुद्राक्ष वर्तमान जीवन में व्यक्ति द्वारा किए गए विभिन्न पापों को समाप्त करता है। इसे “देव गुरु रुद्राक्ष” की उपाधि दी गई है क्योंकि इस तथ्य के कारण कि इसका शासक ग्रह बृहस्पति है जो देवताओं का गुरु है।
संसार में 5 मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि का रूप कहा गया है। इस रुद्राक्ष पर पांच देवी-देवताओं की कृपा बरसती है और इस वजह से ये रुद्राक्ष बहुत खास माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के बुरे कर्मों का अंत होता है। 5 मुखी रुद्राक्ष पर भगवान शिव, विष्णु, गणेश जी, सूर्य देव और मां दुर्गा की कृपा रहती है।
स्वामी ग्रह बृहस्पति
ईष्ट देवता कालाग्नि रुद्र
राशि धनु और मीन राशि
मंत्र
ऊं ह्रीं नम:
पांच मुखी रुद्राक्ष को कालाग्नि नाम दिया गया है, जो स्वयं रुद्र है। इसे “सर्व कल्याणकारी, मंगल डेटा और आयुषवर्धक” के रूप में जाना जाता है। इसके उपयोग से जीवन के सभी क्षेत्रों में भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और मोक्ष को दर्शाता है, सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है और इसके प्रशंसक पंच ब्रह्मा, (गणेश, शिवम शक्ति, विष्णु और सूर्य देवता) या पंच तत्त्व के रूप में सामने आते हैं।
5 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लाभ –
जो व्यक्ति पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करते है वह भगवान शिव के प्रिय बन जाते है। उसके ऊपर किसी भी प्रकार का तंत्र प्रयोग नही हो सकता अगर हो तो शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।
मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
यह व्यक्ति को असमय मृत्यु से बचाता है, यह पहनने वाले को निडर बनाता है I
पांच मुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों की कृपा का वास है इसलिए पंच तत्व जनित दोषों को दूर करने में पांच मुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व है I
मेष , धनु, और मीन राशि के जातकों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ प्राप्त होता है I
यह पहनने वाले की आत्मा को जागृत करता है और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है I
धन और समृद्धि पाने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की सलाह दी जाती है।
यह व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है और व्यक्तित्व से नीरसता को दूर करता है I
नकारात्मक उर्जा व मन में नकारात्मक भाव से बचने में पांच मुखी रुद्राक्ष एक कवच के रूप में कार्य करता है I
यह विद्यार्थियों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि यह पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है I
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाने में भी ये रुद्राक्ष फायदेमंद है।
पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से हर प्रकार के मानसिक विकार , मधुमेह व रक्तचाप से मुक्ति मिलती है I
परिवार में सुख-शांति के लिए भी पांच मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए I
इसको धारण करने से एकाग्रता और याददाश्त बढ़ती है I
5 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि –
इसे पेडेंट या ब्रेसलेट के रूप में पहना जा सकता है।
5 मुखी रुद्राक्ष को सोने एवं चाँदी के साथ पहनें अथवा इसे लाल धागे के साथ पहनें।
आप इसे उस स्थान पर भी रख सकते हैं जहां आप पूजा करते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व रुद्राक्ष को गंगा जल और कच्चा दूध से शुद्ध करें।
इसे गुरुवार को सुबह स्नानादि और पूजा-अर्चना के बाद धारण करना चाहिए।
इसके बाद रुद्राक्ष मंत्र ‘ॐ ह्रीं नम:’ का 108 बार जाप करें और धारण करे।
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